Wednesday, 6 April 2022

मेरा प्यारा हिंदुस्तान


 मेरा प्यारा हिंदुस्तान




अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है

तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।

गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है।

सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।

ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है-

सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।


यहीं मिला आकार ‘ज्ञेय’ को मिली नई सौग़ात है-

इसके ‘दर्शन’ का प्रकाश ही युग के लिए विहान है।



 

वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है।

प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।

अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है-

तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।

इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई-

अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।


योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है।

जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है।

निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ-

कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है।

यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है-

ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है।


क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है।

सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है।

बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता-

स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है।

समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है

देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।

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