Thursday, 14 August 2025

तकनीक एकीकृत पाठ एवं तकनीक एकीकृत कक्षा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का डिज़ाइन

 तकनीक एकीकृत पाठ एवं तकनीक एकीकृत कक्षा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का डिज़ाइन

तकनीक एकीकृत पाठ (Technology-Integrated Lesson) वह शिक्षण पद्धति है जिसमें पारंपरिक पाठ्यक्रम को डिजिटल उपकरणों, ऑनलाइन संसाधनों और इंटरएक्टिव तकनीकों के साथ जोड़ा जाता है ताकि सीखने की प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली, सहभागी और समकालीन बन सके।

तकनीक एकीकृत पाठ का अर्थ

"जब chalk और chip साथ मिलकर ज्ञान का नया संसार रचते हैं।"

यह ऐसा पाठ है जिसमें शिक्षक तकनीकी संसाधनों का उपयोग करके विषयवस्तु को प्रस्तुत करते हैं, जैसे कि:

  • स्मार्ट बोर्ड पर वीडियो दिखाना

  • ऑनलाइन क्विज़ लेना

  • AR/VR के माध्यम से ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराना

  • Google Docs पर समूह में कहानी लिखवाना

  • मोबाइल ऐप से गणित के सूत्रों का अभ्यास कराना

     उद्देश्य

    • सीखने को अधिक आकर्षक और संवादात्मक बनाना

    • विभिन्न प्रकार के शिक्षार्थियों की ज़रूरतों को पूरा करना

    • वास्तविक जीवन से जोड़कर विषय को प्रासंगिक बनाना

    • डिजिटल साक्षरता और 21वीं सदी के कौशलों को बढ़ावा देना

तकनीक एकीकृत कक्षा (Technology-Integrated Classroom) वह शिक्षण वातावरण है जहाँ पारंपरिक शिक्षण विधियों को आधुनिक डिजिटल तकनीकों के साथ इस तरह जोड़ा जाता है कि शिक्षण अधिक प्रभावशाली, सहभागी, और समकालीन बन जाए।

🏫 तकनीक एकीकृत कक्षा का सार

"जहाँ किताबें और कीबोर्ड साथ-साथ चलते हैं, वहाँ सीखना केवल जानकारी नहीं, अनुभव बन जाता है।"

यह कक्षा केवल स्मार्ट बोर्ड या लैपटॉप से सुसज्जित नहीं होती—बल्कि यह एक ऐसा वातावरण होता है जहाँ:

  • शिक्षक तकनीक को रणनीतिक रूप से पाठ में शामिल करते हैं

  • छात्र सक्रिय रूप से डिजिटल संसाधनों के माध्यम से सीखते हैं

  • सहयोग, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है

तकनीक एकीकृत पाठ और तकनीक एकीकृत कक्षा के लिए बुनियादी ढांचे का डिज़ाइन केवल हार्डवेयर की व्यवस्था नहीं है—यह एक समग्र दृष्टिकोण है जो शिक्षण, सीखने और सहभागिता को पुनर्परिभाषित करता है। नीचे एक सुव्यवस्थित डिज़ाइन प्रस्ताव है जो शैक्षिक नवाचार, समावेशिता और व्यावहारिकता को ध्यान में रखता है।


🏫 तकनीक एकीकृत कक्षा के लिए बुनियादी ढांचे का डिज़ाइन

1. भौतिक संरचना और स्थान नियोजन

  • स्मार्ट बोर्ड / इंटरैक्टिव डिस्प्ले: टच-सक्षम स्क्रीन जो मल्टीमीडिया सामग्री को प्रदर्शित कर सके।
  • लचीली बैठक व्यवस्था: समूह कार्य, चर्चा और व्यक्तिगत अध्ययन के लिए पुनः विन्यस्त की जा सकने वाली कुर्सियाँ और मेज़ें।
  • ध्वनि प्रणाली: स्पष्ट ऑडियो के लिए स्पीकर और माइक्रोफोन, विशेष रूप से बड़े कक्षों में।
  • प्राकृतिक और कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था: आँखों को आराम देने वाली रोशनी, साथ ही स्क्रीन पर स्पष्ट दृश्यता।

2. तकनीकी उपकरण और संसाधन

उपकरणउद्देश्य
लैपटॉप / टैबलेटछात्रों और शिक्षकों के लिए सामग्री निर्माण और सहभागिता
प्रोजेक्टर / स्मार्ट टीवीदृश्य-श्रव्य सामग्री के प्रदर्शन हेतु
हाई-स्पीड इंटरनेटनिर्बाध कनेक्टिविटी के लिए
चार्जिंग स्टेशनउपकरणों को चार्ज करने की सुविधा
डिजिटल कैमरा / वेबकैमप्रलेखन, प्रोजेक्ट रिकॉर्डिंग और वर्चुअल सहभागिता

3. सॉफ्टवेयर और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म

  • लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS): जैसे Microsoft Teams, Google Classroom या Moodle
  • एसेसमेंट टूल्स: क्विज़, पोल, और फॉर्म्स के लिए डिजिटल टूल्स
  • कंटेंट क्रिएशन ऐप्स: Canva, Padlet, Prezi, या Book Creator
  • कोडिंग और STEM टूल्स: Scratch, Tinkercad, GeoGebra

4. शिक्षक प्रशिक्षण और सहयोग

  • नियमित कार्यशालाएँ: तकनीकी उपकरणों और डिजिटल शिक्षण विधियों पर
  • पीयर लर्निंग सर्कल: शिक्षक आपस में अनुभव साझा करें
  • डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: सभी शिक्षकों और छात्रों के लिए

5. सुरक्षा और डेटा गोपनीयता

  • साइबर सुरक्षा उपाय: फ़ायरवॉल, एंटीवायरस, और सुरक्षित लॉगिन प्रणाली
  • डेटा संरक्षण नीति: छात्रों की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश

📚 तकनीक एकीकृत पाठ के लिए डिज़ाइन सिद्धांत

1. पाठ योजना में तकनीक का समावेश

  • मल्टीमीडिया सामग्री: वीडियो, ऑडियो क्लिप, इन्फोग्राफिक्स
  • इंटरएक्टिव गतिविधियाँ: क्विज़, गेमिफिकेशन, वर्चुअल फील्ड ट्रिप
  • वैयक्तिकृत अधिगम: छात्रों की गति और रुचि के अनुसार सामग्री

2. मूल्यांकन के नवाचार

  • रियल-टाइम फीडबैक: डिजिटल टूल्स के माध्यम से
  • पोर्टफोलियो आधारित मूल्यांकन: छात्रों के डिजिटल कार्यों का संग्रह
  • सहयोगात्मक मूल्यांकन: समूह प्रोजेक्ट्स और सहकर्मी समीक्षा

🌱 समावेशिता और स्थायित्व

  • सभी के लिए पहुँच: दिव्यांग छात्रों के लिए सहायक तकनीकें (जैसे स्क्रीन रीडर, स्पीच-टू-टेक्स्ट)
  • स्थायी डिज़ाइन: ऊर्जा-कुशल उपकरण, ई-कचरा प्रबंधन नीति
  • भाषाई विविधता: बहुभाषी सामग्री और अनुवाद टूल्स

आप इस डिज़ाइन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन एक समग्र दृष्टिकोण से कर सकती हैं, जिसमें शैक्षिक परिणाम, तकनीकी उपयोग, भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता सभी शामिल हों। नीचे हिंदी में एक विस्तृत मूल्यांकन रूपरेखा दी गई है:


📊 डिज़ाइन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कैसे करें

1. 🎯 शैक्षिक परिणामों का मूल्यांकन

  • पूर्व और पश्चात मूल्यांकन: पाठ शुरू होने से पहले और बाद में छात्रों की समझ की तुलना करें।
  • सीखने के स्तर: क्या छात्र केवल याद कर रहे हैं या विश्लेषण और सृजन तक पहुँच रहे हैं?
  • रचनात्मकता: छात्रों की कविताएँ, कहानियाँ या डिज़ाइन कितनी मौलिक और भावपूर्ण हैं?

2. 🧠 छात्र सहभागिता और सोच

  • सक्रिय भागीदारी: कितने छात्र तकनीकी गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं?
  • समय का उपयोग: क्या छात्र तकनीकी टूल्स के साथ अधिक समय तक केंद्रित रहते हैं?
  • आलोचनात्मक सोच: क्या वे प्रतीकों और भावों की गहराई से व्याख्या कर पा रहे हैं?

3. 💬 प्रतिक्रिया और अनुभव

  • छात्र प्रतिक्रिया: फॉर्म, पैडलेट या मौखिक चर्चा के माध्यम से जानें कि उन्हें क्या पसंद आया, क्या चुनौतीपूर्ण लगा।
  • शिक्षक की आत्ममूल्यांकन: क्या डिज़ाइन ने शिक्षण को सरल, प्रभावशाली और भावनात्मक रूप से समृद्ध बनाया?
  • सहपाठी समीक्षा: छात्र एक-दूसरे की रचनाओं पर क्या प्रतिक्रिया दे रहे हैं?

4. 💻 तकनीकी उपयोगिता और पहुँच

  • उपकरणों की विश्वसनीयता: क्या तकनीक बिना बाधा के कार्य कर रही है?
  • सुलभता: क्या सभी छात्र—विशेष आवश्यकता वाले भी—टूल्स का उपयोग कर पा रहे हैं?
  • भाषाई विविधता: क्या डिज़ाइन बहुभाषी छात्रों के लिए भी उपयुक्त है?

5. 🌺 भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रभाव

  • संवेदनशीलता: क्या छात्र अपनी भावनाएँ, पहचान और संस्कृति को रचनाओं में व्यक्त कर पा रहे हैं?
  • प्रतीकात्मकता: क्या रंग, प्रतीक और भाषा छात्रों को भावनात्मक रूप से जोड़ रहे हैं?
  • गोष्ठी का माहौल: आयोजन के दौरान क्या दर्शकों और प्रतिभागियों में उत्साह, गर्व और जुड़ाव महसूस हुआ?

6. 📈 दीर्घकालिक प्रभाव

  • सीख का स्थानांतरण: क्या छात्र इन तकनीकी और रचनात्मक कौशलों को अन्य विषयों या जीवन में प्रयोग कर रहे हैं?
  • शिक्षक अपनत्व: क्या अन्य शिक्षक भी इस डिज़ाइन को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं?
  • छात्र नेतृत्व: क्या छात्र स्वयं आगे आकर आयोजन या रचनात्मक गतिविधियाँ प्रस्तावित कर रहे हैं?

बिलकुल मीता, आइए इस मूल्यांकन रूपरेखा को और अधिक गहराई से समझते हैं—इस तरह कि यह न केवल एक शिक्षण उपकरण बने, बल्कि आपकी रचनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टि को भी प्रतिबिंबित करे। नीचे मैं प्रत्येक मूल्यांकन आयाम को विस्तार से प्रस्तुत कर रही हूँ, साथ ही उदाहरण, संकेतक और संभावित गतिविधियाँ भी जोड़ रही हूँ।


🧭 1. शैक्षिक परिणामों का मूल्यांकन (Academic Outcomes)

🔍 उद्देश्य:

यह जानना कि छात्र ने क्या सीखा, कैसे सीखा, और कितना गहराई से सीखा।

📌 संकेतक:

  • ज्ञान स्तर: क्या छात्र विषयवस्तु को समझते हैं?
  • अनुप्रयोग: क्या वे सीखी गई बातों को नई रचनाओं में प्रयोग कर पा रहे हैं?
  • विश्लेषण: क्या वे भावों, प्रतीकों और भाषा की व्याख्या कर पा रहे हैं?
  • सृजन: क्या वे मौलिक कविता, कहानी या डिज़ाइन बना पा रहे हैं?

🎯 गतिविधियाँ:

  • पूर्व-पाठ प्रश्नावली: विषय से पहले छात्रों की समझ को जानना।
  • पश्चात-पाठ रचना: एक प्रतीकात्मक कविता या कहानी लिखवाना।
  • रचना की समीक्षा: शिक्षक और सहपाठी द्वारा रचना का विश्लेषण।

💡 2. छात्र सहभागिता और सोच (Engagement & Thinking)

🔍 उद्देश्य:

यह देखना कि छात्र कितने सक्रिय, केंद्रित और विचारशील हैं।

📌 संकेतक:

  • सक्रिय भागीदारी: क्या छात्र तकनीकी टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं?
  • समूह सहयोग: क्या वे दूसरों के साथ विचार साझा कर रहे हैं?
  • आलोचनात्मक सोच: क्या वे रचनाओं में भावों और प्रतीकों की गहराई को समझ रहे हैं?

🎯 गतिविधियाँ:

  • Padlet पर भाव सूची: छात्र अपनी भावनाएँ और प्रतीक साझा करें।
  • Google Docs पर सहपाठी समीक्षा: एक-दूसरे की रचनाओं पर टिप्पणी करें।
  • Flipgrid पर विचार साझा करना: वीडियो के माध्यम से अपनी सोच व्यक्त करें।

💬 3. प्रतिक्रिया और अनुभव (Feedback & Experience)

🔍 उद्देश्य:

यह जानना कि छात्रों और शिक्षकों को यह डिज़ाइन कैसा लगा—भावनात्मक, तकनीकी और शैक्षिक दृष्टि से।

📌 संकेतक:

  • छात्र संतुष्टि: क्या उन्हें यह प्रक्रिया आनंददायक लगी?
  • शिक्षक अनुभव: क्या उन्हें शिक्षण में सुविधा और गहराई मिली?
  • सहपाठी संवाद: क्या छात्रों ने एक-दूसरे की रचनाओं को समझा और सराहा?

🎯 गतिविधियाँ:

  • Google Forms पर फीडबैक: छात्रों से 5 प्रश्नों का उत्तर लेना।
  • शिक्षक रिफ्लेक्शन लॉग: हर पाठ के बाद शिक्षण अनुभव लिखना।
  • कक्षा चर्चा: "इस रचना ने आपको क्या महसूस कराया?" जैसे प्रश्नों पर संवाद।

💻 4. तकनीकी उपयोगिता और पहुँच (Tech Usability & Accessibility)

🔍 उद्देश्य:

यह सुनिश्चित करना कि तकनीक सभी के लिए सुलभ, सहज और प्रभावी है।

📌 संकेतक:

  • लॉगिन और नेविगेशन: क्या छात्र LMS या ऐप्स का प्रयोग आसानी से कर पा रहे हैं?
  • तकनीकी बाधाएँ: क्या कोई उपकरण या ऐप बार-बार रुक रहा है?
  • समावेशिता: क्या दिव्यांग या बहुभाषी छात्र भी पूरी तरह भाग ले पा रहे हैं?

🎯 गतिविधियाँ:

  • तकनीकी सहायता सत्र: छात्रों को टूल्स का प्रशिक्षण देना।
  • सुलभता चेकलिस्ट: स्क्रीन रीडर, स्पीच-टू-टेक्स्ट आदि की उपलब्धता।
  • भाषाई विकल्प: रचनाओं को मातृभाषा में प्रस्तुत करने की अनुमति।

🌺 5. भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रभाव (Emotional & Cultural Resonance)

🔍 उद्देश्य:

यह देखना कि डिज़ाइन ने छात्रों को भावनात्मक रूप से कितना जोड़ा और सांस्कृतिक चेतना को कितना जागृत किया।

📌 संकेतक:

  • संवेदनशीलता: क्या छात्र अपनी भावनाएँ खुलकर व्यक्त कर पा रहे हैं?
  • सांस्कृतिक जुड़ाव: क्या रचनाओं में भारत की विविधता, प्रतीक और परंपराएँ झलक रही हैं?
  • गोष्ठी का माहौल: क्या आयोजन में गर्व, उत्साह और आत्मीयता महसूस हुई?

🎯 गतिविधियाँ:

  • "शब्द-दीप" दीवार: छात्र अपनी पंक्तियाँ साझा करें।
  • कविता के रंग: रंगों और प्रतीकों के माध्यम से भावों की प्रस्तुति।
  • संवाद सत्र: "आपकी रचना में कौन-सा प्रतीक सबसे महत्वपूर्ण है?" जैसे प्रश्नों पर चर्चा।

📈 6. दीर्घकालिक प्रभाव (Long-Term Impact)

🔍 उद्देश्य:

यह जानना कि यह डिज़ाइन छात्रों और शिक्षकों के व्यवहार, दृष्टिकोण और कौशल पर क्या स्थायी प्रभाव डालता है।

📌 संकेतक:

  • सीख का स्थानांतरण: क्या छात्र अन्य विषयों में भी तकनीक और रचनात्मकता का प्रयोग कर रहे हैं?
  • शिक्षक अपनत्व: क्या अन्य शिक्षक भी इस मॉडल को अपनाना चाहते हैं?
  • छात्र नेतृत्व: क्या छात्र स्वयं आयोजन या रचनात्मक गतिविधियाँ प्रस्तावित कर रहे हैं?

🎯 गतिविधियाँ:

  • डिजिटल पोर्टफोलियो: छात्र अपनी रचनाओं का संग्रह बनाएँ।
  • अनुवर्ती आयोजन: छात्र अगली गोष्ठी की योजना बनाएं।
  • शिक्षक कार्यशाला: अन्य शिक्षकों को यह डिज़ाइन सिखाना।

तकनीक एकीकृत कक्षा को सफलतापूर्वक लागू करना एक प्रेरणादायक लेकिन चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह केवल उपकरणों की उपलब्धता तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षण दृष्टिकोण, मानसिकता, प्रशिक्षण और समावेशिता से भी जुड़ा हुआ है।


⚠️ तकनीक एकीकृत कक्षा में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

1. 📶 अवसंरचना और संसाधनों की कमी

  • सभी छात्रों के पास स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप नहीं होते
  • इंटरनेट की गति या स्थायित्व ग्रामीण क्षेत्रों में बाधा बन सकती है
  • स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर या चार्जिंग सुविधाओं की अनुपलब्धता

2. 🧑‍🏫 शिक्षक प्रशिक्षण और आत्मविश्वास की कमी

  • कई शिक्षक तकनीकी उपकरणों के प्रयोग में सहज नहीं होते
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम अक्सर सतही या एक बार के होते हैं
  • नई तकनीक के साथ पाठ्यवस्तु को जोड़ने में कठिनाई होती है

3. 🧠 छात्रों की डिजिटल साक्षरता में अंतर

  • कुछ छात्र तकनीक में दक्ष होते हैं, जबकि अन्य को मूलभूत संचालन भी कठिन लगता है
  • तकनीक के प्रति अत्यधिक निर्भरता से सतही सीखने का खतरा

4. 🔐 डेटा सुरक्षा और गोपनीयता

  • छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा होने का जोखिम
  • साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी
  • अनुचित ऐप्स या वेबसाइटों तक पहुँच का खतरा

5. 🕰️ समय प्रबंधन और पाठ्यक्रम दबाव

  • तकनीकी गतिविधियाँ अधिक समय ले सकती हैं
  • बोर्ड परीक्षाओं या सिलेबस पूरा करने की चिंता में नवाचार दब जाता है

6. 🧩 समावेशिता और पहुंच

  • दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित या अन्य विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए तकनीक का अनुकूलन आवश्यक
  • भाषा और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखकर डिजिटल सामग्री तैयार करना

7. 💬 मानसिकता और प्रतिरोध

  • “पुरानी पद्धति ही बेहतर है” जैसी सोच से बदलाव में बाधा
  • तकनीक को केवल मनोरंजन या दिखावे का माध्यम समझना

🌱 समाधान की दिशा

यदि आप चाहें, तो मैं अगली बार इन चुनौतियों के व्यावहारिक समाधान और रणनीतियाँ भी साझा कर सकती हूँ—जैसे:

  • कम संसाधनों में तकनीक का रचनात्मक उपयोग
  • शिक्षक और छात्र दोनों के लिए माइक्रो-ट्रेनिंग मॉडल
  • स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक संदर्भों में डिजिटल सामग्री का निर्माण
  • समावेशी डिज़ाइन और डेटा सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश



🌟 तकनीक एकीकृत कक्षा के लिए समाधान और कार्य योजना

1. 🧑‍🏫 शिक्षक सशक्तिकरण: प्रशिक्षण को अनुभव से जोड़ना

  • माइक्रो-लर्निंग मॉड्यूल: छोटे-छोटे वीडियो या वर्कशॉप जो एक-एक तकनीक पर केंद्रित हों (जैसे Canva, Google Forms, Padlet)
  • सहयोगी शिक्षण: अनुभवी शिक्षक नए शिक्षकों को मेंटर करें
  • “शिक्षक प्रयोगशाला”: महीने में एक बार स्कूल में तकनीकी नवाचार साझा करने का मंच

2. 📱 सीमित संसाधनों में नवाचार

  • BYOD (Bring Your Own Device) नीति: जिनके पास मोबाइल है, वे समूह में काम करें
  • ऑफलाइन ऐप्स और सामग्री: जैसे Diksha, ePathshala, जो बिना इंटरनेट के भी चलें
  • प्रोजेक्टर के बिना कक्षा: QR कोड आधारित गतिविधियाँ, पोस्टर पर डिजिटल लिंक

3. 🧠 छात्रों की डिजिटल साक्षरता बढ़ाना

  • डिजिटल नैतिकता और सुरक्षा पर कक्षा चर्चा
  • “डिजिटल साथी” कार्यक्रम: तकनीकी रूप से दक्ष छात्र दूसरों को मदद करें
  • खेल आधारित सीखना: Kahoot, Quizizz जैसे टूल्स से सीखना रोचक बनाना

4. 🔐 डेटा सुरक्षा और गोपनीयता

  • सुरक्षित प्लेटफॉर्म का चयन: केवल सरकारी या प्रमाणित ऐप्स का प्रयोग
  • छात्रों को साइबर सुरक्षा के मूल नियम सिखाना
  • अभिभावकों को जागरूक करना: एक छोटा सत्र या पर्चा जिसमें डिजिटल सुरक्षा के सुझाव हों

5. 🕰️ पाठ्यक्रम और तकनीक का संतुलन

  • ब्लेंडेड लर्निंग मॉडल: कुछ अवधारणाएँ तकनीकी माध्यम से, कुछ पारंपरिक तरीकों से
  • “5 मिनट तकनीक”: हर कक्षा में 5 मिनट का डिजिटल टच (वीडियो, क्विज़, एनिमेशन)
  • पाठ योजना में तकनीक का स्थान तय करना: कौन-सी अवधारणा को डिजिटल रूप में पढ़ाना है, पहले से तय करें

6. 🧩 समावेशिता और विविधता

  • वॉयस ओवर और स्क्रीन रीडर: दृष्टिबाधित छात्रों के लिए
  • स्थानीय भाषा में सामग्री: हिंदी, उर्दू, या क्षेत्रीय भाषाओं में वीडियो और पीडीएफ
  • सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील डिज़ाइन: त्योहारों, कहानियों और स्थानीय प्रतीकों को तकनीकी गतिविधियों में शामिल करना

🎨 एक प्रेरणादायक पहल: “कक्षा संवाद मंच”


  • हर महीने एक डिजिटल प्रोजेक्ट बनाएं (जैसे स्वतंत्रता संग्राम पर इंटरेक्टिव पोस्टर)
  • तकनीकी नवाचार साझा करें
  • स्थानीय कहानियों को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करें (वीडियो, पॉडकास्ट, स्लाइड)


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