Friday, 14 October 2022

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम-ज़िंदगी के हर मोड़ पर रहे बेमिसाल

 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम-ज़िंदगी के हर मोड़ पर रहे बेमिसाल




“अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त और सुन्दर विचार वाले लोगों का देश बनाना है, तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता, और गुरु ये कर सकते हैं ” – डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम



भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम को “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया”, के नाम से जाना जाता है। कलाम को भारत के प्रमुख वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, एयरोस्पेस इंजीनियर जैसे नाम दिए गए  हैं, जो भारत के सबसे प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में सदैव याद किए जाते रहेंगे । डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली में भौतिकी और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।

डॉ. कलाम भारत के रक्षा अनुसंधालय में काम करते थे और भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में मजबूत बनाना चाहते थे। 1998 में, भारत के परमाणु हथियार के सफल परीक्षण के बाद, वे राष्ट्रीय नायक बन गए और "मिसाइलमैन" कहलाए। डॉ. कलाम बहुत ही प्रेरक और करिश्माई व्यक्तित्व के साथ एक सच्चे आदर्शवादी नेता माने जाते थे। डॉ. कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखीं और उनकी बहुत ही लोकप्रिय पुस्तकों में से एक, “भारत 2020” है, जिसमें उन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उपाय प्रस्तुत किए हैं। वे चाहते थे कि भारत एक महाशक्तिशाली देश बने। डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने भारत के विकास लिए, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता जैसे तीन सपने देखे थे ।

स्वतंत्रता – लगभग 3,000 वर्ष पहले, भारत पर दुनिया भर के कई आक्रमणकारियों ने आक्रमण करके यहाँ की संपत्ति को लूट लिया, हमारी संस्कृति को हानि पहुँचाया और अपनी इच्छा के अनुसार भारत का निर्माण करने की कोशिश भी की थी। लेकिन भारत ने कभी भी किसी देश पर हमला नहीं किया है, क्योंकि भारत दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान और उनकी संस्कृति का आदर करता है। इसलिए उनका पहला सपना स्वतंत्रता था क्योंकि सम्मान आप को तभी मिल सकता है, जब आपके पास स्वतंत्रता होती है।

विकास- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज भी हमारा देश विकासशील देशों मे से एक है। लेकिन आज समय यह है कि विकासशील देश से एक विकसित देश का निर्माण किया जाए। हालाँकि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, और हमारी उपलब्धियों को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया जा रहा है, फिर भी हमारे पास एक विकसित राष्ट्र के निर्माण का आत्मविश्वास नहीं है। उनका दूसरा सपना भारत का विकास था।

आत्मनिर्भरता- दूसरे देश, हमारा तब ही सम्मान करेंगे, जब हम आत्मनिर्भर  होंगे और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सैन्य और आर्थिक दोनों शक्तियों को एकजुट करेंगे।

वर्तमान में, भारतीय लोग विदेशी उत्पादों से घिरे हुए हैं। केवल सम्मान की बात की जाए, तो यदि आपके पास जरा सा भी आत्मसम्मान हो तो भारत में बने उत्पादों का ही उपयोग करें, क्योंकि भारत के लिए आत्म-साक्षात्कार बहुत महत्वपूर्ण है।

डॉ कलाम के अनुसार हमें अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्ति पर ज़ोर देना चाहिए। रचनात्मकता, साहस और धार्मिकता ज्ञान के तीन घटक हैं, जिससे विवेकशील नागरिकों की पहचान होती है। सकारात्मक सोच और ज्ञान का सही जगह प्रयोग आपको महान बनाता है। धार्मिकता आपको सही दिशा और गुणवान बनाने में मदद करती है। साहस आपको नई सोच को विकसित करने में मदद करता है। जिससे आप जीवन में सफलता के लिए कड़ी से कड़ी बाधाओं का सामना कर सकते हैं। वे कहते थे कि शिक्षकों को दूरदर्शी और उत्साहवर्धी होना चाहिए क्योंकि उनके ज़रिए ही एक सामान्य बच्चे का एक चरित्रवान बनाना संभव हो सकता है। शिक्षा बिना भेदभाव प्रदान की जानी चाहिए, ताकि सभी बच्चे अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दिखाने में सक्षम हों। डॉ. कलाम ने हमेशा रचनात्मकता और नवीनता पर ज़ोर गया। उन्होंने भारत को एक विकसित देश बनाने का एक उद्देश्य बनाया था। उनका सपना था कि हमारा भारत फिर से एक विकसित अर्थव्यवस्था के साथ एक समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज बने। यदि आप इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आपको समाज को बनाए रखने में और अपने व्यक्तिगत कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों को समय से पूरा करना होगा ।

भारत के लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी ज़िंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था। वे भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया। 27 जुलाई, 2015 को डॉ. कलाम जीवन की अंतिम सांसें लेने से ठीक पहले एक कार्यक्रम में विद्यार्थियों से बातें कर रहे थे, वे शायद इसी तरह संसार से विदा होना चाहते थे। उनका मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। किसी ने उनसे उनकी मनपसंद भूमिका के बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था कि शिक्षक की भूमिका उन्हें बेहद पसंद आती है। वे 'रहने योग्य उपग्रह' विषय पर अपनी बात रखना चाहते थे कि क्रूर नियति ने उन्हें हमसे छीन ले लिया| कलाम हमेशा युवाओं से कहते थे कि अलग ढंग से सोचने का साहस करन ज़रूरी है। आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वे महान गुण हैं, जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो। उनके अनुसार जब हम बाधाओं का सामना करते हैं, तो हम पाते हैं कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है, जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी, और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। ज़रूरत हैं कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें। अंत में उन्हें नमन करते हुए उनकी एक सीख,जो हमें सदैव उत्प्रेरित करती रहेगी-

“सपने सच हों, इसके लिए सपने देखना ज़रूरी है। सपने सिर्फ वे नहीं होते, जो आप सोते हुए देखते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं, जो आपको सोने नहीं देते।“

 

 

मीता गुप्ता

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