Tuesday, 14 December 2021

केंद्रीय विद्यालय संगठन: श्रेष्ठता की ओर बढ़ते कदम


 

केंद्रीय विद्यालय संगठन: श्रेष्ठता की ओर बढ़ते कदम

(केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्थापना दिवस [15.12.2023] पर विशेष)

 

असतो मा सद्गमय।

तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मामृतं गमय॥

केंद्रीय विद्यालय, दुनिया के स्कूलों की सबसे बड़ी श्रृंखला में से एक है, भारत में केंद्रीय सरकारी स्कूलों की एक प्रणाली है, जो शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित की गई थी। भारत में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था यह है, जो मुख्यतः भारत की केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए बनाई गई है। इस की शुरुआत 1963 में मात्र 20 रेजिमेंटल स्कूलों से हुई तथा यह तब से भारत के केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अनुबन्धित है। इस समय भारत में केंद्रीय विद्यालयों की संख्या 1,248 है, जिनमें 1437363 विद्यार्थी पढ़ते हैं, 48314 कर्मचारी (शैक्षिक और गैर-शैक्षिक) कार्यरत हैं। कार्य के सुगम कार्यान्वयन हेतु केंद्रीय विद्यालयों को 25 क्षेत्रों में बांटा गया है । साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षण, अध्ययन-सामग्री को तैयार करने और शोध तथा नवाचार हेतु 5 आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। इस के अतिरिक्त विदेश में तीन केंद्रीय विद्यालय हैं, जिनमें भारतीय दूतावासों के कर्मचारियों तथा अन्य प्रवासी भारतीयों के बच्चे पढ़ते हैं। केंद्रीय विद्यालयों में भारत के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पाठ्यक्रम का अनुसरण होता है। सभी केंद्रीय विद्यालयों का संचालन केंद्रीय विद्यालय संगठन नाम की संस्था करती है।

केंद्रीय विद्यालयों के प्रमुख चार मिशन इस प्रकार है -

1. केंद्रीय सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारियों जिनमें रक्षा तथा अर्धसैनिक बलों के कर्मी भी शामिल हैं , के बच्चों को शिक्षा के सामान्य कार्यक्रम के तहत शिक्षा प्रदान कर उनकी शैक्षिक अवश्यकताओं को पूरा करना ।

2. विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठता और गति निर्धारित करना ।

3. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.सी.) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.) इत्यादि जैसे अन्य निकायों के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग तथा नवाचार को सम्मिलित करना ।

4. बच्चों में राष्ट्रीय एकता और ’भारतीयता’ की भावना का विकास करना ।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के उद्देश्य

     शिक्षा का एक सामान्य कार्यक्रम प्रदान करके रक्षा और अर्ध-सैन्य कर्मियों सहित हस्तांतरणीय केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है।

     स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने और गति निर्धारित करने के लिए है।

     अन्य निकायों जैसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद आदि के सहयोग से शिक्षा में प्रयोग और नवप्रवर्तन की शुरुआत करना।

     राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित करना और बच्चों में "भारतीयता" की भावना पैदा करना।

     स्कूलों को प्रदान करने, स्थापित करने, बनाए रखने, नियंत्रण और प्रबंधन करने के लिए, इसके बाद भारत सरकार के ट्रांसएफ़रेबल कर्मचारियों के बच्चों के लिए 'केंद्रीय विद्यालय' कहा जाता है, अस्थायी आबादी और अन्य जिनमें देश के दूरस्थ और अविकसित स्थानों में रहने वाले और ऐसे स्कूलों के प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक सभी कार्य और चीजें करना।

केंद्रीय विद्यालयों की विशेषताएं=

     सभी केंद्रीय विद्यालयों के लिए सामान्य पाठ्य पुस्तकें और द्विभाषी माध्यम।

     सभी केंद्रीय विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं।

     सभी केंद्रीय विद्यालय सह-शैक्षिक समग्र विद्यालय हैं।

     छठी - आठवीं कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाती है।

     एक उपयुक्त शिक्षक-शिष्य अनुपात द्वारा शिक्षण की गुणवत्ता को यथोचित रूप से उच्च रखा जाता है।

     आठवीं कक्षा तक के लड़कों के लिए कोई शिक्षण शुल्क नहीं, बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों और केवीएस कर्मचारियों के एससी / एसटी छात्रों और बच्चों के लिए।

     शिक्षकों की भर्ती गुणवत्ता के आधार पर होती है, जिसके लिए अभ्यर्थियों को कड़ी लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से गुज़रना होता है ।

 भावना विकसित करना ।

केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों में केवल शिक्षण प्रक्रिया के प्रति ही रुचि नहीं होती, बल्कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पैठ रखते हैं जैसे पर्यटन-पर्व, फ़िट इंडिया मूवमेंट, स्वच्छता-ड्राइव, सरकारी विद्यालय के साथ सहभागिता, तरुणोत्सव, मनोदर्पण, स्काउट एवं गाइड्स, साहसिक कार्यक्रम , सांस्कृतिक गतिविधियाँ , विभिन्न आयोजित की जाने वालीं प्रतियोगिताएं जैसे मैथ ओलिंपियाड , साइंस कांग्रेस , यूथ पार्लियामेंट , स्पोर्ट्स एंड गेम्स , समय – समय पर आयोजित किये जाने वाले इन–सर्विस कोर्सेज, कंप्यूटर से सम्बंधित कोर्सेज एवं कार्यशालाएं इत्यादि।

अलग – अलग प्रान्तों, धर्म , जाति , वंश , संस्कृति एवं संस्कारों के बच्चे केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश लेते हैं, जिससे विद्यालय में विभिन्न समुदायों एवं संस्कृति के बच्चों के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास किया जाता है एवं उन्हें एक – दूसरे के धर्म के प्रति लगाव एवं सम्मान की भावना का विकास किया जाता है | बच्चों को इस तरह से सभी धर्मों के प्रति एवं उनके व्यवहार , खान – पान , वेशभूषा , रहन – सहन की जानकारी प्राप्त होती है | वर्ष भर विद्यालय में संस्कृतिक गतिविधयां आयोजित की जाती हैं, जिसके फलस्वरूप बच्चे अलग – अलग संस्कृतिक विचारों , धरोहरों, भाषाओं आदि के बारे में जान पाते हैं| यह एकमात्र ऐसी संस्था है जो बिना किसी भेदभाव के , बिना किसी जातिगत , धर्म , लिंग , वंश भेदभाव किये सभी विद्यार्थियों को प्रवेश देती है | भारत में मनाये जाने वाले सभी राष्ट्रीय एवं धार्मिक त्योहारों को केंद्रीय विद्यालयों ने अपनी शिक्षा प्रणाली का ख़ास हिस्सा बनाया है |

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने प्रवेश की एक विशेष नीति अपनाई है, जिसमें भारतीय संविधान का पूरा – पूरा सम्मान करते हुए अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , पिछड़ा वर्ग , शारीरिक रूप से अक्षम विद्यार्थियों को भी प्रवेश दिया जाता है |वर्तमान शिक्षण प्रणाली के अनुसार विद्यालयों में सभी प्रकार के आधनिक उपकरणों की उपलब्धता निश्चित करने के बारे में केंद्रीय विद्यालय संगठन काफी सतर्क है। अति आधुनिक उपकरणों के माध्यम से शिक्षण कार्य संभव हो यह सुनिश्चित करने के पूरे प्रयास संगठन द्वारा किए जा रहे हैं और इसमें काफी हद तक सफलता प्राप्त की जा सकी है यहाँ  आधुनिक शिक्षा मानकों के हिसाब से आधुनिक उपकरणों की सहायता से शिक्षण कार्य किया जाता है, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके |

एन सी ई आर टी एवं सी बी एस ई द्वारा दी जाने वाली अनुशंसाओं को केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा समय – समय पर लागू किया जाता है एवं शिक्षा पर शोध के माध्यम से आने वाले अनुभवों को केंद्रीय विदयालय संगठन अपने पाठ्यक्रम का मुख्य हिस्सा बनाने में कभी भी पीछे नहीं रहता | इस हेतु समय-समय पर शिक्षकों के बौद्धिक एवम शैक्षिक विकास के लिए कार्यशालाओं एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किये जाते हैं| तकनीक का उपयोग केंद्रीय विद्यालयों में अब आम बात हो चुकी है | इंटरैक्टिव बोर्ड भी आज बहुत से केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु उपयोग में लाये जा रहे हैं| कंप्यूटर एवं इन्टरनेट का उपयोग शिक्षण का हिस्सा बन गया है|

केंद्रीय विद्यालय संगठन की वार्षिक गतिविधियों (ऑनलाइन और ऑफ़लाइन) को इस प्रकार से नियोजित किया जाता है, जिसके माध्यम से बच्चों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी योग्यता दिखाने एवं सीखने के समान अवसर प्राप्त होते हैं | जीवन जीने की कला के साथ- साथ बच्चों में अनुशासित जीवन कैसे जिया जाए इस ओर विशेष ध्यान दिया जाता है | इस कार्य हेतु विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है एवं समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं | संगठन ने विद्यालयों में इस कार्य हेतु शैक्षिक सलाहकारों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं |

वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए संगठन ने इस बात पर विशेष जोर दिया है जिसके माध्यम से बच्चों में जीवन को कैसे सुनियोजित तरीके से जिया जाए इस विषय पर समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है एवं साथ ही साथ विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है | देश के महान संतों , दार्शनिकों के जीवन मूल्यों को बच्चों तक पहुंचाया जाता है साथ ही साथ बच्चों के दैनिक जीवन में योगाभ्यास किस तरह से महत्वपूर्ण भामिका निभा सकता है इस पर बल दिया जाता है |

 केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्थापना-दिवस के अवसर पर सबको बहुत-बहुत बधाई...श्रेष्ठता को प्राप्त करने के लिए सदैव दृढ़-संकल्प...

भारत का स्वर्णिम गौरव, केंद्रीय विद्यालय लाएगा,

तक्षशिला-नालंदा का इतिहास लौट कर आएगा ॥

 


मीता गुप्ता

 

 

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