नववर्ष 2022 की चुनौतियां
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से व्यथित वर्ष 2021 और
ओमिक्रॉन वायरस के मुहाने पर खड़े होकर जीवन के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व
आर्थिक-सामाजिक आपदाएं, संकट, चुनौतियाँ और कठिनाइयां को देखते-समझते हुए आज हम 2022 के स्वागत को आतुर
हैं। इन चुनौतियों ने 2021 के रूप-स्वरूप में भी आमूल-चूल बदलाव कर दिया है । आइए, नज़र डालते हैं उन चुनौतियों पर, जो भविष्य पर
असर डालेंगी-
1.स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बजट में अधिक राशि
का आवंटन करना और नए शोधकार्य को बढ़ावा देना- कोरोना वायरस से हुए दुष्परिणामों ने
स्वास्थ्य-सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है । विकसित देश भी ऐसे में
लाचार दिखाई दिए । शायद इसीलिए ओमिक्रॉन से जूझने की तैयारी पहले से करने का
प्रयास जारी है।
2. ज़्यादा स्मार्ट शहरों का उद्भव- संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार 2050 में
दुनिया की 10 अरब आबादी के आधे से ज़्यादा लोग
सिर्फ़ 10 विकसित देशों में रह रहे होंगे
।जैसे-जैसे गांवों की आबादी शहरों की ओर पलायन करेगी, नये
रोज़गार पैदा करने और शहरी सेवाओं को बनाए रखने का दबाव और बढ़ेगा ।
3.मानव और प्रकृति के संबंधों की पुनर्स्थापना- महीन
धूलकणों ने हमारी हवा को और प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों ने महासागरों को भर
दिया है ।हमें साफ-सुथरे विकल्पों की ओर बढ़ने और हानिकारक सामग्रियों तथा ऊर्जा
स्रोतों को चलन से बाहर कर देने की ज़रूरत को समझते हुए रचनात्मक और जैव-केंद्रित
विकल्पों को अपनाना भी एक बड़ी चुनौती है ।
4.साफ़ और हरी तकनीक को अपनाना- हरी तकनीक की दुनिया में हमारी प्रगति
धीमी है ।यहां यह भी समझना आवश्यक है कि स्वच्छता हमेशा नई तकनीक की मोहताज नहीं
होती ।सबसे अच्छा समाधान अक्सर मौजूदा आदतों को बदलने से मिलता है ।अलग-अलग
क्षेत्रों में प्रभावी और व्यावहारिक उपाय तलाश कर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है ।
5.अंतरिक्ष
की खोज का नया युग- विश्व के सभी देश नये अंतरिक्ष युग में जी रहे हैं
।अंतरिक्ष पर्यटन और चांद पर बस्तियां बसाने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। दुनिया भर
की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसियां अपने-अपने महत्वाकांक्षी मिशन में लगी हुई हैं और
इंसान उनकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा है। अंतरिक्ष में हमारी छलांग नए सवालों को
प्रेरित कर रही है- हम दूर के खगोलीय पिंडों पर बस्तियां कैसे बसाएंगे?
6.कृत्रिम मेधा (AI) का उदय-मशीनों
की मेधा हमारी दक्षता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाए या हमारी उपस्थिति के विकल्प
के तौर पर, इसे रोकना अब नामुमकिन है । कृत्रिम मेधा जितनी ज़्यादा परिष्कृत
एल्गोरिद्म का मतलब है, निर्णयों और सुझावों में
ज़्यादा निश्चितता, इसका सही उपयोग भी एक चुनौती बन कर
उभर रहा है ।
7.खाई को पाटना-विविधता बढ़ाने और असमानता कम करने में तरक्की के
बावजूद कार्यक्षेत्रों में, मीडिया प्रतिनिधित्व में और
दुनिया भर के नेतृत्व में विभाजन की खाई चौड़ी है ।इसे पाटने के लिए नई समावेशी
नीतियों और कार्यक्रमों के साथ-साथ ज़मीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। एक
शांतिपूर्ण, समृद्ध और टिकाऊ दुनिया के लिए यह आधार
आवश्यक भी है ।
8.बढ़ता राजकोषीय घाटा-इस महामारी के दौर में जब सरकार की आय न
के बराबर है और खर्चे विस्तृत रूप से बढ़ते जा रहे हैं तो राजकोषीय घाटे का बढ़ना
स्वाभाविक है, यह भी एक बड़ी चुनौती है ।भारत में यह लड़ाई दोतरफा है-एक, इस बीमारी से लड़ने के लिए साधन जुटाना और दूसरा, इस लड़ाई के दौरान समाज के एक बहुत बड़े गरीब तबके की सुरक्षा सुनिश्चित
करना ।
9.अस्थायी बेरोजगारी, स्थायी प्रभाव-देशव्यापी
लॉकडाउन के खुलने के बाद स्थितियां सामान्य तो हुई हैं, पर क्या यह डरा-सहमा
मजदूर दोबारा उन फैक्ट्रियों तक जाने की हिम्मत जुटा भी पाएगा, यह विचारणीय प्रश्न है ।अगर वे समयबद्ध तरीके से वापस कारखानों में नहीं
लौटते हैं, तो यह निश्चित है कि भारत की उत्पादन क्षमता
पर बेहद नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
10.ऑनलाइन
शिक्षा-आज स्कूलों
और कॉलिजों ने ऑनलाइन शिक्षा को अपनाकर विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने का प्रयत्न
तो किया है, परंतु भारत जैसे अनेक देशों में, जहाँ
लंबा-चौड़ा गरीब तबका है, यह नाकाफ़ी है और फिर ऑनलाइन
शिक्षण की अपनी बाध्यताएं और सीमितताएं भी हैं। आज कोविड के प्रोटोकॉल के साथ
स्कूल खुल रहे हैं, पर गत समय में बन गई अधिगम की खाई को
पाटना वास्तव में एक चुनौती है। बच्चे राष्ट्र की धरोहर होते हैं, इस धरोहर को संभालना और सहेजना भी एक बड़ी चुनौती के रूप में दिखाई देती
है।
बीता साल चाहे जैसा भी गुजरा, नए साल के स्वागत की तैयारियों
का जोश देखने लायक होता है क्योंकि ‘कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन
नहीं मरा करता है’ को चरितार्थ करते हुए अब 2022 अपने आगाज़ पर है और नई
चुनौतियां के साथ-साथ नई आशाएं और नई संभावनाएं अपनी झोली में लिए हमें बुला रहा
है। इक्कीसवीं सदी के दूसरा दशक में हमने दुनिया को बदलते देखा है, अब तीसरे दशक में भी दुनिया इसी तरह बदलेगी...बदलती रहेगी....नई मंज़िलों
की ओर बढ़ेगी। तो आइए, चलें पूरे उत्साह के साथ नए दशक
और नए साल में नई राहों की ओर....नई आशाओं के दीप लिए स्वागत करें नए सूरज का ...
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत
है!,
स्वर्णिम किरणों की डोरी थामे,
आया है वर्ष नया, स्वागत
है, स्वागत है!
नए नए सपने हैं,नूतन
आशाएं हैं,
साँसों की धड़कन ने गीत नए गए हैं,
खुशियों की प्यास जगी फिर मन में,,स्वागत
है,
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत
है!,
भूलें हम जो कुछ भी खोया, या पाया
था,
बीत गया जीवन, अतीत
जो पराया था,
नव प्रभात बेला में नवयुग की बात
करें,
सपने साकार करें, हमने
जो चाहा था,
श्रद्धा विश्वास भरा ,स्वागत
है, स्वागत है!
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत
है!
मंजिल की और चलें, एक कदम
और बढ़ें
काँटों को साथ लिए फूलों की बात करें,
पथ की दूरी कैसी?,काँटों
का क्या गम है?
साहस के आगे तो पर्वत नतमस्तक हैं,
दृढ़ता विश्वास लिए स्वागत है, स्वागत
है!
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत
है॥
मीता गुप्ता
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