अक्सर मेरी माँ ऊन का कमाल करती है
दो सलाइयों से एक तार बुना करती है
दो सीधा दो उल्टा कर आकार दिया करती है
मेरे लिए ढेर सारा प्यार बुना करती है|
ऊन का गोला है या शैतान खरगोश
पूरे घर में करता पोषम पा
आकारों के खेलों से पोशाक बना दिया करती
माँ मन चाहा ऊनों को आकार दिया करती है
वह वीभत्स रस से श्रंगार किया करती है
वीभत्सा का जादू यूं होता के छोटे छोटे हाथो से
वाह बड़े बड़े पैमान रचा करती है
माँ के ऊनों के खेलों की यही सीख अनूठी है
छूट जाए फंदा या आ जाए मुश्किल कोई
पूरा स्वेटर खोल कर मुश्किल को नाप तोल कर
फ़िर से करना प्रयास कई और पुनः प्रयास की आदत तेरी
देगी मंजिल हज़ार नई |
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