Thursday, 27 May 2021

स्टूडेंट्स का स्ट्रेस


स्टूडेंट्स का स्ट्रेस


  


कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे भारत में  लॉकडाउन है. लोग घरों में बंद हैं और सब कुछ जैसे रुका हुआ है ।भागती-दौड़ती ज़िंदगी में अचानक लगे इस ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है ।इस बीच चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं.कोरोना लॉकडाउन के समय में सारी दुनिया का बुरा और विचित्र हाल है। पहले कोरोना फिर उसके बाद में होने वाले प्रभाव का डर सबको भयभीत कर रहा है। सब अपने-अपने तरीके से कोरोना को मात देने की कोशिश कर रहे हैं।अगर इस समय विद्यार्थियों की तरफ देखें, तो यह समय उनके लिए बड़ा  ही उदासी, अवसाद और तनाव भरा है।  वही विद्यार्थी जो स्कूल, कालेज में बंक करके खुशी महसूस करते थे या छुट्टी की इंतज़ार करते थे, आज स्कूल, कालेज के खुलने का ​बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अभी  ऑनलाइन क्लासें लग रही हैं, मीट,जूम या अन्य वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्मों पर क्लासें लग रही हैं, वीडियो कांफ्रैंसिंग हो रही है, मीटिंग हो रही है, परन्तु फिर भी बहुत कुछ सूना और अधूरा लग रहा है।

कोरोना  ने हमारे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। यह कड़वा सच है कि कोरोना काल में घर पर रह कर बच्चे चिड़चिडे़ हो गए हैं। 6 से 12 साल के बच्चों पर ज़्यादा असर देखने को मिल रहा है। बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं। शारीरिक गतिविधियों के बंद होने से बच्चों की दिनचर्या बदली है। बच्चों के बर्ताव में बदलाव दिख रहा है। स्कूल न जाने से भी बच्चों पर असर पड़ रहा है। कब स्कूल जाएंगे, यह पता नहीं है। बच्चे भयभीत,आशंकित और एकाकीपन के गंभीर गह्वर में डूबते जा रहे हैं।बच्चों का बाहर खेल-कूद, मिलना-जुलना नहीं हो पा रहा है। बाज़ार, मॉल, रेस्टोरेंट जाना बंद है। छुट्टियों में बाहर घूमने जाना भी बंद है। बच्चे वर्चुअल और आर्टिफिशियल दुनिया में ही जी रहे हैं। उनकी पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माथापच्ची हो रही है। बैठे-बैठे वजन बढ़ता जा रहा है।

कोविड के दौर में अभिभावकों को  असीमित चिंताएं घेरे रहती हैं।  कोविड और मां-बाप के चिंतित चेहरे बच्चों के लिए भी तनाव का कारण हैं। अकेलापन और बुरी खबरों का तनाव भी बच्चों पर हावी दिख रहा है। इन स्थितियों में बच्चों में चिड़चिड़ापन, आक्रोश, दुखी चेहरा आम बात होती जा रही है। बच्चों में अचानक कम या बहुत ज्यादा नींद की शिकायतें भी मिल रही हैं। बच्चों में मायूसी, कोशिश किए बिना हार मान लेने की आदत देखने को मिल रही है। इसके अलावा थकावट, कम एनर्जी, एकाग्रता में कमी की शिकायतें भी मिल रही हैं। बच्चों में गलती पर खुद को ज्यादा कसूरवार ठहराना, सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना, दोस्तों, रिश्तेदारों से कम घुलना-मिलना जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि  छह साल से बड़े बच्चों में डिप्रेशन घर करता जा रहा है।

अभिभावक तीन चीज़ों से पहचान सकते हैं कि बच्चा तनाव है-

पहला है व्यवहार में परिवर्तन - जैसे बच्चा कहे कि मैं अच्छा नहीं हूं मैं बेकार हूं, बात - बात में गुस्सा कर, रोए जोर-जोर से बातें करें । घबराहट व चिड़चिड़ापन महसूस हो। हाथ पैरों को बिना बात के फेंके आदि।

दूसरा सिम्टम है चेंज ऑफ एक्टिविटीज- जैसे सोते हुए अचानक जगना, समय से पहले जगना, कम बोलना या ज़्यादा बोलना।

तीसरा- परफॉर्मेंस में गिरावट आना जैसे ऑनलाइन क्लास में मन न लगना, होमवर्क न करना, पढ़ाई की बात न करना, अगर आप उससे बात करें तो वह अनदेखा करें आदि।

इन स्थितियों से निपटने के किए सबसे पहले बच्चों को दुखी न होने दें,अभिभावक उनके जीवन में शामिल हों, उन्हें बुरे एहसास मैनेज करना सिखाएं, बच्चे के दोस्तों की जानकारी रखें, बच्चे को नज़रअंदाज न करें,उनसे लगातार बात करते रहें,बच्चों से बातचीत में आशावादी रहें, उनकी दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटी और योग को शामिल करें। ये बिंदु देखने में भले ही छोटेलगें,पर हैं नहीं । इनका अभिभावकों द्वारा परिपालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।बच्चे से हरदम पढ़ाई की ही बात न करें, बल्कि उसके साथ थोड़ी देर टहलें या फिर खेलें। अन्य एक्टिविटी करने से बच्चे का मूड फ्रेश होता है, जिससे वह बेहतर तरीके से परफॉर्म करते हैं। अमूमन माता-पिता बच्चों से सिर्फ पढ़ाई की ही बात करते हैं, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है। यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि आप एक स्टडी प्लान बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसे कितनी देर का ब्रेक लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सबकी प्लानिंग पहले ही कर लें।  बच्चे के स्क्रीन टाइम का भी ध्यान रखें।  इस तरह जब अभिभावक पहले से ही सारी प्लानिंग कर लेंगे, तो इससे बच्चों का भी तनाव कम होगा। यहाँ-पान का ध्यान रखें। साथ ही लिक्विड की मात्रा अधिक रखें और उसे हेल्दी स्नैक्स जैसे रोस्टेड बादाम या मखाना आदि दें। इतना ही नहीं, उनका संतुलित खान-पान बच्चों के तनाव को दूर करता है। अगर बच्चा पढ़ाई को लेकर अतिरिक्त तनाव में है तो आप उसके साथ मिलकर कुछ रिलैक्सेशन एक्टिविटी कर सकते हैं।  

अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे समय रहते अपने बच्चों के अंदर बढ़ रहे तनाव को पहचान कर उसका उचित इलाज कराएं। बच्चों में पैदा हो रहे तनाव को चार तरीकों से दूर किया जा सकता है-माता - पिता बच्चों के अंदर चल रही बातों को पहचानने। प्यार से उनकी बात सुने और महत्व दें। कभी भी बच्चों को अकेला महसूस न होने दें। रिसर्च कहती है कि अच्छी डाइट का मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खाने में सलाद फाइबर डाइट के साथ-साथ दिन में एक सेब जरूर लें। सेब एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो ऑक्सीडेशन डैमेज में मदद करता है।  6 से 12 साल के बच्चों को 9 से 11 घंटे की नींद लेनी चाहिए,जिससे तनाव का स्तर घटता है। इसके अलावा मास्क, सामाजिक दूरी व साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें टीवी, मोबाइल कम उपयोग करें। पर्यावरण स्वास्थ्य का ध्यान रखें। खेलकूद के कारण खुशी देने वाला हार्मोन एंडोर्फिन निकलता है जिससे नकारात्मक विचार कम होते हैं और तनाव का स्तर घटता है। छोटे बच्चों को 25 से 30 मिनट ज़रूर खेलना चाहिए इससे उनका आत्मविश्वास और सामाजिक रुझान भी बढ़ता है।यदि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर नहीं जा सकते,तो घर में ही जॉगिंग, स्किप्पिंग आदि आराम से की जा सकती है।

मैं ऐसा मानती हूँ कि कोरोनावायरस के इस मंथन काल से निकला यह स्निग्ध पीयूष समाज को एक नई दिशा देगा अंत में यही कहा जा सकता है कि भारतीय महिला एक सशक्त व्यक्तित्व के रूप में उठेगी और उसके आत्मविश्वास से समस्त भारतीय समाज आलोकित होगा और एक नया पथ प्रशस्त होगा क्योंकि-

इन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा

जब दुख के बादल पिघलेंगेजब सुख का सागर छलकेगा

जब अंबर झूम के नाचेगाजब धरती नग़में गाएगी

वो सुबह हमीं से आएगीवो सुबह हमीं से आएगी

वो सुबह हमीं से आएगीवो सुबह हमीं से आएगी


AMRIT VICHAR DATE 02.06.2021




 


Wednesday, 26 May 2021

कुछ ऐसी बातें जो आपके रिश्तों में मिठास घोल देंगी

 


कुछ ऐसी बातें जो आपके रिश्तों में मिठास घोल देंगी

 

रूठे सुजन मनाइए , जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।।

प्रस्तुत दोहे में महाकवि रहीम कहते हैं कि जब भी कोई हमारा अपना प्रियजन हमसे रूठ जाए, तो उसे मना लेना चाहिए, भले ही हमें उसे सौ बार ही क्यों ना मनाना पड़े ,प्रियजन को अवश्य ही मना लेना चाहिए। रहीम इस दोहे के माध्यम से हमें प्रियजनों के महत्त्व को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार मोतियों की माला के बार-बार टूटने पर भी हर बार मोतियों को पिरोकर हार बना लिया जाता है, वैसे ही हमें भी प्रियजनो को मना लेना चाहिए।मैं रहीम के संदेश का समर्थन करती हूँ क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है रिश्ते केवल सामाजिक व्यवस्थाओं की धुरी ही नहीं हैं, वे इंसानियत के क्रमशः विकास के महत्वपूर्ण उत्प्रेरक भी हैं। बिना समाज के, बिना परिवार के या बिना रिश्तों के वह रह ही नहीं सकता रिश्तों की नाज़ुक डोर प्यार और विश्वास पर टिकी होती है| रिश्ता चाहे पति-पत्नी का हो, दोस्ती का हो या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का, आपसी समझ होना जरूरी है। क्या इसके लिए हम कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं ? हाँ, क्यों नहीं !

स्पेशल फील कराएं-

ज़रूरी नहीं कि हर रिश्ते में किसी को स्पेशल फील करवाने में तोहफ़े की ज़रूरत पड़े। अक्सर आपका बर्ताव भी दूसरों को स्पेशल करवा देता है। दोस्त या पार्टनर की सराहना करें। उनके किसी अचीवमेंट पर उन्हें प्यारा-सा उपहार दें, अपने कीमती समय से कुछ खास पल उन्हें दें

एक-दूसरे का करें सम्मान-

सम्मान हर रिश्ते को मजबूत बनाता है। फिर वह चाहे आपसे छोटा हो, हमउम्र हो या आपसे बड़ा। अगर आप दूसरों का आदर करेंगे तो दूसरे भी आपका सम्मान करेंगे। इससे रिश्ता और गहरा होता जाएगा। हर रिश्ते को अहमियत दें।

भरोसा है रिश्ते की बुनियाद-

किसी भी रिश्ते की नींव प्यार और विश्वास पर टिकी होती है। अगर आप दोनों के बीच भरोसा है, तो कोई भी तीसरा व्यक्ति आपके रिश्ते में दरार नहीं डाल सकता। एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखने के लिए यह ध्यान रखें कि किसी के बहकावे या कहने पर एक-दूसरे पर शक करें। खुद भी कभी अपने साथी का भरोसा तोड़ें।

साथ-साथ समय बिताएं-

आज की दौड़भाग भरी जीवनशैली में सभी व्यस्त हैं। जिस तरह आप अपने सबसे ज़रूरी कामों के लिए समय चुरा ही लेते हैं, वैसे ही दोस्त या पार्टनर को भी समय देना ज़रूरी है। रिश्ते मजबूत बने रहें इसके लिए बीच-बीच में घूमने जाएं ।अधिक समय नहीं, तो क्वालिटी टाइम साथ-साथ बिताएँ

अच्छे श्रोता बनें-

रिश्तों में मिठास बरकरार रखने के लिए एक-दूसरे को सुनना बहुत ज़रूरी है| जब तक आप एक-दूसरे को सुनेंगे नहीं, समस्या का हल निकलेगा नहीं। हमेशा अपनी बात रखने की बजाए, दूसरे की भी सुनें।

खाना साथ-साथ खाएँ-

साथ में खाना ज़रूर खाएं बेहतर रिश्तों के लिए दिन में कम से कम एक बार साथ खाना बहुत ज़रूरी है। खाने के टेबल पर परिवार से जुड़ी बातें ही करें।

बहुत अधिक अपेक्षाएँ करें-

रिश्तों में आपकी तरफ़ से अगर अपेक्षाएं कम और ज़िम्मेदारी का बोध ज़्यादा होगा, तो रिश्ते अपने आप मधुर होते जाएंगे।

ईगो को बीच में आने दें-

किसी भी रिश्ते को निभाते समय अपना अहंकार या ईगो बीच में आने दें। ईगो के चलते अविश्वास और ईर्ष्या की भावना का जन्म होता है, जो मधुर संबंधों के लिए हानिकारक है

अपनी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ को ऑफ़िस तक ही सीमित रखें-

कोरोना काल में यह असंभव हो गया है कि अपनी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ और पर्सनल लाइफ़ को अलग-अलग रखा जाए क्योंकि अधिकतर ऑफ़िस अभी वर्क फ़्रॉम होम ही करवा रहे हैं ।पर प्रयास किया जा सकता है कि समय-समय पर डिजिटल डीटॉक्सिंग की जाए, नोटिफ़िकेशन ऑफ़ रखे जाएं और जब आप अपने परिवारजनों के साथ हों, तो कंप्यूटर या फ़ोन का इस्तेमाल कम से कम करें।

संवादहीनता की स्थिति आने दें-

किसी भी परिस्थिति में रिश्तों के बीच संवादहीनता आने दें। चुप्पी रिश्ते को ख़त्म कर देती है। यदि कोई रिश्ता बिगड़ रहा हो, तो उसे बातचीत से ठीक करें। कभी-कभी लंबी ड्राइव पर जाकर बात-चीत की जा सकती है

समर्थ ही क्षमा करते हैं-

रिश्तों में क्षमादान बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए माफ़ करना और अपने किसी ग़लत व्यवहार के लिए माफ़ी मांगना भी सीखें

नजरिया रखें सकारात्मक-

गुस्सा एक ऐसी चीज है जिसमें हम होश खो बैठते हैं इसलिए ध्यान रखें कि यह गलती आपके रिश्ते में दूरी ला सकती है आप एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक रहें, एक-दूसरे की बातों को समझें और सकारात्मक नजरिये से आगे बढ़ें।

कुछ और बातें-

घर के सारे काम एक-दूसरे के साथ बांटकर करें। इससे काम करने में मज़ा भी आएगा और आपसी रिश्ते भी मज़बूत होंगे।परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्राइवेसी भी मिलनी चाहिए, फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा।अपने आपको रिश्ते के हर उतार-चढ़ाव और हर परिस्थिति में ढालने के लिए तैयार रखें ।किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए आपका ख़ुद का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है, इसलिए अपनी सेहत का ख़ास ख़्याल रखें। दूसरों से वैसा ही व्यवहार करें, जैसा कि आपको अपने लिए अपेक्षित है

कहा जाता हैं की रिश्तों को संभालने के लिए विश्वास और समझदारी की ज़रूरत पड़ती है। अगर इन दोनों में से एक भी कम हुआ तो आपके रिश्ते में खटास सकती  है। पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए, तो यही रिश्ते ज़िदगी को खुशनुमा बना देते हैं।यथा-

रिश्तों को सीमाओं में नहीं बाँधा करते,
उन्हें झूठी परिभाषाओं में ढाला नहीं करते।

उड़ने दो उन्हें उन्मुक्त पंछियों की तरह
बहती हुई नदी की तरह,
तलाश करने दो उन्हें अपनी सीमाएं
वे खुद ही ढूँढ लेंगे उपमाएं,

होने दो वही जो क्षण कहे,
सीमा वही हो जो मन कहे॥

 

 

 

 

 


और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...