Saturday, 8 May 2021

माँ

माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ,
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ।

माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ,
माँ मरूथल में सोता या मीठा सा झरना है माँ।

माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ,
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है माँ।

माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ,
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है माँ।

माँ लू भरे दिनों में कोयल की बोली है माँ,
माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है माँ।

माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ,
माँ परामत्मा की स्वयं एक गवाही है माँ।

माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ,
माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है माँ।

माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है माँ,
माँ ज़िंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है माँ।

माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कधों का नाम है माँ,
माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है माँ।

माँ चिंता है, याद है, हिचकी है माँ,
मेरी हर चोट पर सिसकी है माँ।

माँ गरम मुलायम रोटी और हाथों का छाला है माँ,
माँ ज़िंदगी की कडवाहट में अमृत का प्याला है माँ।

माँ पृथ्वी है, जगत है, धुरी है माँ,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।

तो माँ की ये कथा अनादि है, ये अध्याय नही है,
और माँ का मेरे जीवन में कोई पर्याय नहीं है।

तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।

तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करती हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करती हूँ।🙏

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