Wednesday, 5 May 2021

ध्यान तथा स्वास्थ्य के द्वारा विद्यार्थियों को जीवन कौशल का शिक्षण

 


ध्यान तथा स्वास्थ्य के द्वारा विद्यार्थियों को जीवन कौशल का

 शिक्षण-                 यूट्यूब वीडियो


























ध्यान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं महत्व

चित्त को एकाग्र करके किसी ओर लगाने की क्रिया। यह योग के आठ अंगों-

यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि, में से सातवां अंग है जो समाधि से पूर्व की अवस्था है। मन को लगाते हुए मन को ध्येय के विषय पर स्थिर कर लेता है तो उसे ध्यान कहते हैं।

मन को लगाते हुए मन को ध्येय के विषय पर स्थिर कर लेता है, तो उसे ध्यान कहते हैं। ध्यान से आत्म साक्षात्कार होता है। ध्यान को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी है और अलौकिक जीवन में भी इसका उपयोग किया जाता है। ध्यान को सभी दर्शनों, धर्मों व संप्रदायों में श्रेष्ठ माना गया है। अनेक महापुरुषों ने ध्यान के ही माध्यम से अनेक महान कार्य संपन्न किए। जैसे- स्वामी विवेकानंद एवं भगवान बुद्ध आदि।

ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति

ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति ध्यैयित्तायाम् धातु से हुई है। इसका तात्पर्य है चिंतन करना। लेकिन यहाँ ध्यान का अर्थ चित्त को एकाग्र करना उसे एक लक्ष्य पर स्थिर करना है। अत: किसी विषय वस्तु पर एकाग्रता या ‘चिंतन की क्रिया’ ध्यान कहलाती है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है,फलस्वरूप मानसिक शक्तियों का एक स्थान पर केन्द्रीकरण होने लगता है।

स्वास्थ्य का अर्थ

 दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य है।

या

2) किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।

स्वास्थ्य एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बेहतरी को संदर्भित करता है। एक व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेते हुए तब कहा जाता है जब वह किसी भी शारीरिक बीमारियों, मानसिक तनाव से रहित होता है और अच्छे पारस्परिक संबंधों का मज़ा उठाता है। पिछले कई दशकों में स्वास्थ्य की परिभाषा काफी विकसित हुई है। हालांकि इससे पहले इसे केवल एक व्यक्ति की भौतिक भलाई से जोड़ा जाता था पर अब यह उस स्थिति को संदर्भित करता है जब कोई व्यक्ति अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का आनंद ले रहा है, आध्यात्मिक रूप से जागृत है और एक अच्छा सामाजिक जीवन जी रहा है।

    पूर्ण स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है। स्वस्थ जीवन के लिए,  संतुलित आहार और नियमित रूप से व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को उचित आश्रय में रहना चाहिए, पर्याप्त नींद लेनी चाहिए और स्वच्छता की अच्छी आदतें होनी चाहिए।

    हमें वास्तव में स्वस्थ रहने के लिए खुश रहने की आवश्यकता है। अगर हम एक-दूसरे के साथ गलत व्यवहार करते हैं और एक-दूसरे से डरते हैं, तो स्वस्थ पर बुरा परभव पड़गा । व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामाजिक समानता और सद्भाव महत्वपूर्ण हैं।

    सभी जीवों का स्वास्थ्य उनके आसपास या उनके वातावरण पर निर्भर करता है। हमारा सामाजिक वातावरण हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण कारक है।

    सार्वजनिक स्वच्छता व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम नियमित रूप से कचरा इकट्ठा करें और उसे साफ करें। हमें किसी ऐसी एजेंसी से भी संपर्क करना चाहिए जो नालियों को साफ करने की जिम्मेदारी ले सके। इसके बिना, आप अपने स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

    हमें स्वास्थ्य के लिए भोजन चाहिए और भोजन के लिए, हमें काम करके पैसा कमाना होगा। इसके लिए काम करने का अवसर उपलब्ध होना है। इसलिए, अच्छी आर्थिक स्थिति और रोजगार, व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं

शारीरिक स्वास्थ्य

    शारीरिक स्वास्थ्य शरीर की स्थिति को दर्शाता है जिसमें इसकी संरचना, विकास, कार्यप्रणाली और रखरखाव शामिल होता है। यह एक व्यक्ति का सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य स्थिति है। यह एक जीव के कार्यात्मक और/या चयापचय क्षमता का एक स्तर भी है।

मानसिक स्वास्थ्य

    मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक लचीलेपन से है जो हमें अपने जीवन में दर्द, निराशा और उदासी की स्थितियों में जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं को व्यक्त करने और जीवन की ढ़ेर सारी माँगों के प्रति अनुकूलन की क्षमता है। 

ध्यान तथा स्वास्थ्य के द्वारा विद्यार्थियों में निम्नांकित जीवन कौशलों का विकास संभव है-

    स्थिर प्रज्ञता

    एकाग्रता में वृद्धि

    अनुशासन और समय प्रबंधन का ज्ञान

    सात्विक चिंतन और बौद्धिक विकास

    ग्राह्यता में वृद्धि

    लक्ष्य स्थिरता

    मानसिक शक्तियों में वृद्धि

    आत्म-परीक्षण, आत्म-निरीक्षण, आत्म-चिंतन और आत्म-शोधन

    मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि

    मन में श्रेष्ठ विचारों की उत्पत्ति

    शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास

    आत्म साक्षात्कार-स्वयं का अनुसंधान

    क्रोध, काम, लोभ और मोह के बंधनों से मुक्ति तथा नकारात्मक मनोभावों पर नियंत्रण

    बौद्धिक स्वतंत्रता

    आत्मचिंतन

    उत्प्रेरणा

    श्रवण ,चिंतन और मनन का स्रोत

    जीवन, व्यवहार, सोच और स्वभाव में बदलाव

    शरीर, वाणी और मन का संयम

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि ध्यान तथा अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा विद्यार्थियों को जीवन कौशल का विकास किया जा सकता है ।

 

 

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