Monday, 3 May 2021

कोविड पॉज़िटिव aaj 03.05.2021




कोविड पॉज़िटिव


 

कोविड पॉज़िटिव

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कौन कोविड पॉज़िटिव हो गया और कौन नहीं.. अब यह मसला नहीं रह गया ! 

अब लड़ाई चरम पर है! लगभग आधा भारत और एक चौथाई विश्व धीरे धीरे कोरोना पॉज़िटिव  हो रहा है!

कोरोना फ़ौज बढ़ती आ रही है, किले ढहते जा रहे हैं !  जो बंकर में महफूज हैं, वे भी कितने दिन महफूज रहेंगे कहा नहीं जा सकता !!

 आपके शील्ड, कवच (वैक्सीन आदि) बेशक आपकी जान बचा सकते हैं, लेकिन आसन्न हमले को नहीं रोक सकते !

अदृश्य दुश्मन के वार से बच पाना लगभग नामुमकिन  हो रहाहै! वार होने से पहले की सावधानियां हमारे अख्तियार में हैं।

किंतु वार हो ही जाए, तो  किस तरह लड़ा जाए यह भी कुछ हद तक हमारे अख़्तियार में है !

  सबसे पहले तो खौफ़ से बाहर आ जाएं!

खौफ़, कि 'कहीं मुझे न हो जाए, कहीं इसे न हो जाए, कहीं उसे न हो जाए!'.. इन बातों से बाहर आ जाएं !क्योंकि खौफ़ज़दा होकर युद्ध नहीं लड़ा जाता! आपकी आधी ताकत तो खौफ़ ही खत्म कर देता है !

सजग होकर रक्षात्मक सारे उपाय अपनाएं.. लेकिन साथ ही मानसिक तैयारी भी रखिए कि अगर हो गया तो इससे कैसे लड़ना है ??  ख़याल रहे, वायरस का लोड उतना घातक नहीं है जितना भय का लोड घातक है !जीवन की सबसे बड़ी जंग, रोग से जंग होती है.. क्योंकि इसमें आपके धैर्य, निडरता और मानसिक ताकत का वास्तविक परीक्षण होता है !रोग हो जाना बड़ी बात नहीं है, रोग से लड़ कर जीत जाना बड़ी बात है!

कोविड पॉजिटिव आने पर भी मन को नेगेटिव न होने दें ! क्योंकि नकार से बड़ा कोई 'विष' नहीं और सकार से बड़ी 'औषधि' नहीं!लक्षण आते ही परीक्षण कराएं, इसमें देर न करें क्योंकि परीक्षण की रिपोर्ट आने में समय लग रहा है।

 आप जीवन भर किस तरह जिए हैं, यही बात रोग होने पर भी काम आती है ! अगर आप आजीवन दुखी, निराश, अविश्वासी, संकुचित और सशंकित होकर जिए हैं.. तो यही मनोभाव, रोग हो जाने पर गद्दार जयचंद की तरह,शत्रु सेना का साथ देकर आपकी ताकत कम कर देते हैं !

 किंतु अगर आप जीवन में खुशमिजाज, निडर और पॉजिटिव रहे हैं.. तो यही मनोभाव, पेशवा बाजीराव की तरह, संकट में घिरे छत्रसाल की मदद भी करते हैं !!  यानी आपकी ताकत को बढ़ा देते हैं !!

सकारात्मक विचारों से बड़ा कोई इम्यूनिटी बूस्टर नहीं !!कोई बात नहीं, जो आप कोविड पॉजिटिव आ गए तो !!तो पहली बात, खौफ से बाहर आ जाएं!

हो गया, तो हो गया.. ऐसी भी कोई बहुत बड़ी बला नहीं आ गई है, लड़ने का प्रयास ज़रूर करें !!

दूसरी बात, अफवाहों को सर ना चढ़ाएं ! अफवाह, शक्की स्वभाव का लक्षण है! यह गैरजरूरी बातों में ऊर्जा का अपव्यय करना है ! विश्वसनीय और प्रामाणिक खबरों पर ही दृष्टि रखें ! शक्की न बनें, अन्यथा अफवाहें आपकी आधी ताकत खा जाएंगी!

तीसरी बात,  अज्ञानियों के ज्ञान से बाहर आ जाएं !

आपदा की बारिश में सब ओर से ज्ञान के मेंढक टर्राने लगते हैं!

'फलां काढ़ा पी लो, ढिंकाँ कपूर सूंघ लो, यह खा लो, वह पी लो..' ऐसी किसी भी अवैज्ञानिक बात न सुनें! अथवा उन्हें, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की तरह ही लें, प्राथमिक ट्रीटमेंट न बनाएं !

वे दवाएं, जिनका मोड ऑफ एक्शन, रिसर्च बेस्ड और विज्ञान सम्मत हो, चिकित्सकीय परामर्श से उनका ही सेवन करें !स्वयं अपने वैद्य न बनें,  वरना अपने रोग की भयावहता के ख़तावार आप स्वयं होंगे !

आप यदि चाहें तो कोरोना को श्राप नहीं, बल्कि वरदान की तरह भी देख सकते हैं .. क्योंकि इसने बता दिया कि जीवन में, जीवन से अधिक कीमती कुछ नहीं !!धन, गुरुर, दिखावा, घमंड सब धरे रह जाते हैं.. सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, आपका और आपके अपनों का ज़िंदा रहना !

शरीर की हर सांस जीवन की डोर को बचाए रखना चाहती है ! आप बेशक मन से टूट जाएं, मगर.. आपका शरीर मरना नहीं चाहता! शरीर की प्रत्येक कोशिका, मृत्यु के खिलाफ संघर्ष करती है !

ज़रूर जीवन में कुछ ऐसा भेद छिपा है कि जिसके लिए देह जिंदा रहना चाहती है !!

शायद उस सत्य की खोज का महाअभियान ही जीवन है, जिसे जाने बिना देह, प्राण नही छोड़ना चाहती !!

हज़ारों संकट टले हैं,यह भी टल जाएगा...किंतु क्यों न अब इस तरह जिएं कि जीवन में सत्य का फूल खिले..ताकि जब मृत्यु की बेला आए,  तो यह देह, सहर्ष ही अस्तित्व में विलीन होने  को तैयार हो!

 किंतु यह तो तब ही होगा जब हम अहंकार से परे, परोपकार और सद्भाव के कुछ पग चले होंगे !!

इससे अधिक मृत्यु की पराजय और क्या हो सकती है कि जब आंख बुझने की घड़ी आए,  तो हमारी आंखों में 'अनजिए' का नैराश्य नहीं, बल्कि जिए हुए क्षणों की चमक हो..,

प्रेम के साथ गुजारे लम्हों का संदूक सिरहाने रखा हो और कंठ पर प्रेम का पुष्प हार सजा हो !

इस खजाने के साथ हुई विदा, मृत्यु को भी धता बता देती है  क्योंकि जो जीवन को जी लेता है वह मृत्यु के भय से पार हो जाता है !

कोविड पॉजिटिव, भीतर का सब नेगेटिव जला दे, तो यह वरदान ही है अभिशाप नहीं !इस जंग में जिन्होंने जान गंवा दी है ,वे सभी योद्धा भी, एक अधिक प्रेम पूर्ण विश्व के निर्माण में दी गई दिव्य आहुति की तरह ही हैं ! उनको मेरी श्रद्धांजलि !हर मृत्युचिता,  दिव्य धूप है अगर वह इस विश्व को, नवीन तरह से जीने के लिए अनुप्राणित कर जाती है !

 एक ऐसा विश्व, जो गैर प्रतिस्पर्धी हो, जो पशुओं के प्रति करुणामय हो, जो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न करें, जो जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखे... और जो अनाक्रामक , प्रेम पूर्ण और सृजनशील, विश्व बंधुत्व का भाव रखता हो !

इस महामारी में जिन्होंने अपनों को खोया है, उन सभी के पास..सभी की संवेदना और संबल पहुंचे !

वे सब आगामी विश्व निर्माण के अग्रदूत हैं, उनके बलिदान को पूरी मानवता का नमन है !

 

असतो मा सदगमय:

तमसो मा ज्योतिर्गमय:

मृत्योर्मामृतं गमय:

 

धन्यवाद !

 मीता गुप्ता



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