जो बादलों में उतर रही गगन से आकर, जो पर्वतों पर बिखर रही है सफ़ेद चादर, वही तो मैं हूँ.... वही तो मैं हूँ.... जो इन दरख्तों के सब्ज़ पत्तों पे डोलती है, जो ओस बनकर हर मौसम को खेलती है, वही तो मैं हूँ...
Friday, 11 July 2025
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
और न जाने क्या-क्या?
कभी गेरू से भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ सुहाग पूड़ा बाँसबीट हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता औ...
-
1. 1. EPISODE-0- INTRODUCTION- यूँ ही कोई मिल गया सीज़न-2 प्रस्तावना 01/01/26 2. EPISODE-1 ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी 15/01/26 3. ...
-
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का घोड़ा है वह जन मा...
-
सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर भारत के वीर बांकुरों को नमन... . घाव बदन पे सहता जा तू , भारत-भारत कहता जा तू , पर्वत-पर्वत चढ़त...
No comments:
Post a Comment